Sunday, July 11, 2010

हरियाणा के गावों में तीज....

हरियाणा के गावों में तीज का त्यौहार कुछ अलग ही समां बांधता है,
दिन में तालाब किनारे बड़े-बड़े पेड़ों पर रस्से बाँध कर औरतें गीत गाती हैं
श्याम को गावं में महिलाएं चरखा गाते हुए गीत गाती हैं.


तीज का गीत

झूलण जांगी हे मां मेरी बाग मैं री ...
आये रही कोए संग-सहेली चार ...
झूलण जांगी हे मां मेरी बाग मैं री ...
कोए 15 की मां मेरी, कोए 20 की री ...
आये रही कोए संग-सहेली चार ... झूलण
कोए गोरी हे मां कोए सांवऴी ...
आये रही कोए ...

तीजां का त्योहार रितु सामण की ...
खडी झूल पै मटकै छोरी बामण की ...
क्यों तूं ऊंची पिंग चढावै ...
क्यों पड कै नाड तुडावै ...
या लरज-लरज करै डाह्ऴी जामण की ...
तीजां का .....


तीज का एक और गीत

हां.... चौगरदे तै बाग हरया ... घनघोर घटा सामण की ...
होर छोरी गावें गीत सुरीले ... झूल घली सामण की ...
चौगरदे तै बाग हरया ... घनघोर घटा सामण की ...
छोरी गावें गीत सुरीले ... झूल घली सामण की ...

मार चौखडी ... हुं ... मार चौखडी ...
चढी पींघ पै ... लत्ते-चाऴ सजा कै ...
दो छोरियां ने लसकर पकड्या ...इधर-उधर तै आकै ...
न्यून घुमाई-न्यून घुमाई ...मारी पींघ बधा कै ...
सासू जी का नाक तोड ल्याई ... लाम्बा हाथ लफ्फा कै ...
झौटा फिरग्या ... खिली बत्तीसी, झौटा फिरग्या ... खिली बत्तीसी ...
कहै बीर सामण की ...
छोरी गावें गीत सुरीले ... झूल घली सामण की ...
चौगरदे तै बाग हरया ... घनघोर घटा सामण की ...
छोरी गावें गीत सुरीले ... झूल घली सामण की ...

तेज हवा मैं पल्ला उड्ग्या ... होस रहया ना गाती का ...
झटका लाग्या ... नाथ टूटगी .. ग़या लिकड पेच पाती का ...
कोडी होके ठावण लागी ... हार झुक्या छाती का ...
उह्का बोलण नै जी कर रहया था ... मुह पाटया ना सरमाती का ...
पल्ला ठा मुह पूछण लागी ... होएए ...पल्ला ठा मुह पूछण लागी
गई कली दीख दामण की ....
छोरी गावें गीत सुरीले ... झूल घली सामण की ...
चौगरदे तै बाग हरया ... घनघोर घटा सामण की ...
छोरी गावें गीत सुरीले ... झूल घली सामण की ...

ऊची एडियां के बूट पहर रही ... कडी तोडिये भारी ...
हरे रंग का कमीज पहर रही ... काऴी-पीऴी धारी ...
चम्पाकली हवेल झालरा ... टिक्की तक भी ला रही ...
52 गज का घूम-घाघरा ऊठी कलियां न्यारी-न्यारी ...
दरजी के न छांट करी सै ..दरजी के न छांट करी सै ..
भाई मगजी और लामण की ...
छोरी गावें गीत सुरीले ... झूल घली सामण की ...
चौगरदे तै बाग हरया ... घनघोर घटा सामण की ...
छोरी गावें गीत सुरीले ... झूल घली सामण की ...

जिब आवे सामण का महीना ... गोरी रंग नै छाटैं ...
किसे की गोरी किसे की छोरी .. सबके सत्ते छाटैं ...
किसे की कोथऴी किसे का सींधारा ... भर भर बुगटे बांटै ...
20 साल तै नीचै-नीचै ... खुरियां धरती काटैं ..
बेरा ना कित तीज मनैगी .. बेरा ना कित तीज मनैगी ..
उस लखमीचंद बामण की ...
छोरी गावें गीत सुरीले ... झूल घली सामण की ...
चौगरदे तै बाग हरया ... घनघोर घटा सामण की ...
छोरी गावें गीत सुरीले ... झूल घली सामण की ...


अगली बार में तीज पर बनाने वाले कुछ ख़ास पकवानों के बारे में जरुर लिखूँगी
सबको आने वाली तीज मुबारक हो !

No comments:

Post a Comment