आवश्यकता है ...तो बस सूझ-बूझ की।
कई सारी एक ही रंग की बोतलें जमा कीजिये... एक फ़ूल और ढेर सारी पत्तियों का गुच्छा ...और लगा दीजिये इन बोतलों में ....
रसोई घर के कोने को कैसा खिला दिया है इन्होने ......
और यह देखिये बाथरूम के सामने .......
सुबह ७ बजे ज़ब में सैर करके लौट रही थी मेरी भतीजी कैमरा लेकर कड़ी थी।
बुआजी देखो फ़ूल ...और हमने इस सुबह की अलमस्त बेला में सूर्य देवता के आगमन से पहले ही ढेर सारी फोटो कैद कर ली.
मेरे घर के सामने के पार्क में यह पीले फूलों वाला झाड जिसे ज़्यादा पानी, रखवाली की जरूरत नहीं होती ....अपनी छटा बिखेरता रहता है... सुबह से ही पूजा के लिए इसके फूलों को तोड़ने की जैसे होड़ सी लग जाती है..यह जहरीला पौधा है...
पर फ़ूल तो फ़ूल हैं ना......
मैने यह पर्स सालों पहले (१९९५) बनाया था, मेरा बहुत पसंदीदा सूट प्रेस से जल गया था,उसका उपयोग करते हुए मैने एक बड़ा बैग जो की मैने गिफ्ट कर दिया था (याद नहीं किसे) पर यह मेरे पास है । इसे मैने खूब इस्तेमाल किया फ़िर बोक्स के किसी कोने में रख दिया ...
एक दिन यह मेरे हाथ लगा और फ़िर से मेरे साथ इसने घूमना शुरू कर दिया।
मेरे कार्बन-फ़ुट-प्रिंट कैसे हैं ?
Isn’t it sustainable lifestyle!