आज जब मैं प्राणायाम की बात करती हूं तो मुझे वो क्षण याद आते हैं जब मैं प्राणायाम से वाकिफ़ हुई, आशा राम जी से प्राणायाम के पहले आयाम रेचक-पूरक-कुम्भक इत्यादि सीखे थे. बाद में जब १९९५ में मेरे छोटे भाई का देहांत हुआ तब मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी मेरी सहेलियाँ मुझे कभी किसी संत के यहां ले जाती तो कभी किसी मंदिर गुरूद्वारे इसी कड़ी में दिल्ली के आर के पुरम में श्रीमाली के यहां ले गई तब प्राणायाम के बारे में कुछ और जाना, फिर मैं हमारी लाइब्रेरी से प्राणायाम पर किताबें लेकर आई, बहुत पढ़ा समझने की कोशिश की परन्तु कुछ समझ नहीं आया फिर जब स्वामी रामदेव जी महाराज का आस्था
टीवी चैनल पर लाइव शो आने लगा उस समय मैं लगातार टीवी के सामने बैठ कर प्राणायाम करने लगी और इसके बारे में भरपूर जाना.
Wednesday, January 7, 2015
Subscribe to:
Posts (Atom)